रत्नावली 10

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रत्नावली रामगोपाल भावुक दस संसार अपनी तरह ही दूसरों का मूल्याँकन करता है। मानवीय कमजोरियों को भी अपनी तरह ही दूसरों पर आरोपित करने में उसे जरा भी संकोच नहीं होता। हरको यही सोच रही थी कि उसे महावीर प्रसाद जैन के यहाँॅ से बुलाना आया। उनके लड़के को मियादी बुखार बन गया है। रात भर किसी न किसी को जागना पड़ता है। सो किसे बुलाया जावे ? गाँव भर में एक ही नाम था हरको। हरको रत्नावली से आज्ञा लेकर उसके यहाँॅ चली गयी। जब दो दिन बाद वह लौट कर आयी। आते ही रत्नावली