रत्नावली 8

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रत्नावली रामगोपाल भावु आठ महेबा की तरह रत्नावली यहाँ भी जल्दी सोकर उठ जाती। उसने अपनी दिनचर्या गोस्वामी जी की तरह बना ली थी। स्नान-ध्यान में कोई विध्न नहीं पड़ता था। वाल्मीकि रामायण का पाठ, रामनाम की माला, यही दैनिक जीवन के क्रम में आ गया था। कार्य से निवृत्त हो पाती कि तारापति उठ जाता। फिर उसे निपटाने में समय निकल जाता। धनिया आ गयी थी जो बर्तन लेकर नदी पर चली गयी। गंगेश्वर रोज महेबा जाने की कहता, बहन बुरा मन बना लेती तो रह जाता था। उसने पिछले दिन चेतावनी दे दी