सौ हाथ का कलेजा

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पंजाब मेल मैंने लखनऊ से पकड़ी थी। शाम गहराने पर मैंने अपने नए-पुराने सहयात्रियों से उनके स्लीपर का पता लगाना चाहा। ‘मेरी बच्ची नीचे सोना पसन्द करेगी’, एक युवक ने पास बैठी अपनी स्त्री की गोद में सो रही दुधमुंही बच्ची की ओर संकेत किया, ‘आप चाहें तो ऊपर वाली हमारी बर्थ से, निचे वाली बर्थ बदल ले। ’ क्यों नहीं!’ मैंने कहा, ‘मगर वहाँ तो बहुत सामान रखा है।’ ‘वह सामान मेरा है,’ युवक ने अपनी निगाह इधर-उधर सीटों के नीचे दौड़ाई। ‘हम तीनों अंबाला उतरेंगी,’ थ्री टियर के उस भाग में हमारे साथ जो तीन अधेड़ महिलाएँ थीं