व्यंग्य लेख - कैसे कैसे टार्च बेचने वाले!

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व्यंग्य लेख कैसे कैसे टार्च बेचने वाले! रामगोपाल भावुक हमारे देश में पुस्तैनी धन्धा सिखाने की परम्परा रही है। पिता अपने पुत्र को विरासत में पाये धन्धे को ही सिखाना चाहता है। यह बात हमारे जहन में इस तरह घर कर गई है कि इसके अलावा हम कुछ सोच ही नहीं पाते। राजा अपने पुत्र को राजा बनाना चाहता है। सेठ अपने वंशजों को बचपन से ही दुकानदारी से जोड़ लेता है। किसान अपने बेटे को अच्छी तरह खेती करना सिखाता है। हम देख रहे है सभी इसी तरह अपने-अपने वंशजों को अपने पेशे की ट्रेनिंग देते