राग का अंतर्राग - 2

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अमिता नीरव 2 भीड़ भरी सड़क से निकलकर जैसे ही वो यूनिवर्सिटी रोड पर पहुँचे। वृंदा ने रट लगाई, 'अब मुझे दो.... गाड़ी।' खीझे हुए शुभ ने ड्राइविंग सीट छोड़ी और चाभी उसे लगाकर पास वाली सीट पर जा बैठा। बहुत ही झुंझलाया हुआ था, लेकिन वृंदा इस सबसे बेखबर उत्साह से उसकी ओर देख रही थी...। जब शुभ ने उसे नहीं देखा तो वह रूआँसी हो गई 'बता तो दो....।' शुभ ने खीझकर बताया था 'ये क्लच है, ये गियर है, ये ब्रेक, ये एक्सीलरेटर या स्टीयरिंग और ये हॉर्न.... इग्निशन लगाओ... क्लच, दबाकर गियर चेंज करो... और रेस