अमिता नीरव 1 कमरे में सुबह की हल्की-सी रोशनी आ रही थी। बड़े शहरों के फाइव स्टार अपार्टमेंट में खिड़कियाँ तो बड़ी-बड़ी होती है, लेकिन उन पर पर्दे भी उतने ही मोटे पड़े रहते हैं। रोशनी तो चाहिए, लेकिन धूप नहीं.... सब कुछ सुविधानुसार चाहिए, या स्वादानुसार। शुभ की आँखें खुली तो देखा हानिया बेड के किनारे पर बैठकर अपने शूज के लैस बाँध रही थी। उसने झुककर हानिया की खुली कटावदार कमर को चूम लिया, उसने प्यार से मुस्कुराकर उसे देखा तो, शुभ ने शरारतन काट लिया। हानिया की हँसी छन्न से टूटे काँच की तरह पूरे कमरे में