मुक्ति की ओर

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नीलम कुलश्रेष्ठ [अभी अभी १६ दिसंबर प्रधानमंत्री विजय दिवस के उपलक्ष में शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे .ये स्मारक सन १९७१ के पाकिस्तान से हुये युद्ध में शहीदों की स्मृति में बनवाया गया था।इसी सन में बँगला देश की स्थापना हुई थी। बँगला देश के एक अख़बार `इत्तेफ़ाक़ `के एक वृद्ध पत्रकार के उसी समय के बलिदान पर लिखी एक सत्य कथा. ग़ुलामी की जंजीर तोड़ कर बंगला देश माज मुक्त वातावरण में सांस ले रहा है लेकिन कौन जानता है कि इस मुक्तिसंग्राम में अहमद मियाँ ने कितनी बड़ी कुर्बानी दी थी ? ] पीछे से थोड़ी