जनजीवन - 8

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समय और जीवन कौन कहता है कि समय निर्दय होता है,वह तो तरुणाई की कथा जैसा होता है मधुर और प्रीतिमय, वह यौवन के आभास सा होता है कभी खट्टा और कभी मीठा। उन मोहब्बत के मारों की सोचो जिन्हें वक्त और जवानी ने दगा दे दिया। उनकी भावनायें बन जाती हैं आंसुओं का दरिया, उन्हें जीना पड़ता है इसी मजबूरी मे, समय उन्हें देता है दुखो की अनुभूति वे जीवन भर भरते हैं आहें छोड़ते है ठण्डी सांसें। समय उन्हीं पर मेहरबान होता है जो समझ लेते हैं समय को समय पर। ऐसे लोग शहंशाह की तरह जीते