पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 17

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चैप्टर 17 गहराई में - कोयले की खदान। हम सच में सीमित राशन पर निर्भर रहना था। हमारे रसद मुश्किल से तीन दिन के लायक थे। इसका एहसास मुझे रात्रिभोज के समय हुआ। और सबसे बुरी बात ये थी कि हम उन पत्थरों के बीच थे जहाँ पानी मिलना नामुमकिन था।मैंने पानी के अकाल के बारे में पड़ा था और हम जहाँ थे, वहाँ कुछ समय बाद हमारे सफर और ज़िन्दगी का अंत होना तय था। लेकिन ये सब बातें मौसाजी से नहीं कह सकता था। वो प्लेटो के किसी कथन को सुना देते।अगले दिन हम सब बस बढ़े जा