मानस के राम (रामकथा) - 47

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‌ मानस के राम भाग 47लक्ष्मण को शक्ति लगनालक्ष्मण इंद्रजीत का सामना करने युद्धभूमि में पहुँचे। इंद्रजीत ने कहा,"नागपाश के बंधन से मुक्त हो गए किंतु आज मैं तुम्हें मृत्यु की गोद में सुलाकर ही जाऊँगा।"लक्ष्मण ने कहा,"शब्दों के बाण नहीं वास्तविक बाण चलाओ। मैं भी अब तुम्हें दंड देकर ही यहाँ से जाऊँगा।"एक बार फिर दोनों के बीच भयंकर युद्ध होने लगा। लेकिन कुछ ही देर में इंद्रजीत माया का प्रयोग करने लगा। वह