मानस के राम (रामकथा) - 41

  • 5.4k
  • 2.1k

‌ मानस के राम भाग 41मकराक्ष का वधप्रहस्त की मृत्यु से एक बार फिर वानर सेना में उत्साह की लहर दौड़ गई थी। राम ने अपने अनुज लक्ष्मण की प्रशंसा करते हुए कहा,"लक्ष्मण प्रहस्त जैसे वीर का वध करके तुमने शत्रु पक्ष में हलचल मचा दी है। रावण के लिए अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुखदाई होगा।"लक्ष्मण ने कहा,"हाँ भ्राता श्री प्रहस्त निसंदेह ही एक वीर योद्धा था। उसकी मृत्यु का समाचार शत्रु