मानस के राम (रामकथा) - 36

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‌ मानस के राम भाग 36शुक व सारण द्वारा राम का संदेश लेकर जानादोनों गुप्तचर बार बार अपने किए की क्षमा मांग रहे थे। राम ने उन्हें समझाते हुए कहा,"तुमने जो कुछ भी किया वह तुम्हारा कर्तव्य था। तुम लंका के राजा रावण के आधीन हो। अतः उनकी आज्ञा का पालन करना ही तुम्हारा धर्म है। तुमने अपने धर्म का पालन किया है। अब यहांँ से जाओ और अपने कर्तव्य को पूरा करो। यहांँ तुमने