धुन्‍ध

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कहानी— धुन्‍ध आर. एन. सुनगरया, प्रात: ऑंखें खुलीं तो, तरो-ताजा मेहसूस हुआ, ‘’बेटे की शादी हर्षोल्‍लास से सम्‍पन्‍न हो गई।‘’ ‘’प्रणाम! पिताजी।‘’ नवबधु ने चरण स्‍पर्श