महाकाव्य-‘‘देवी सावित्री’’-महाकवि प्रो. हरिशंकर आदेश ‘‘पाठकीय दृष्टिकोण’’-वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’ प्रवासी महाकवि आदेश कृत-‘‘देवी सावित्री’’ का आवरण पृष्ठीय दृष्टिकोण ही सम्पूर्ण कृति का जीवन्त-सा आईना है। हिन्दी श्लोकों में सरस्वती वंदना कृति का आमूल प्राण है। शुभाशंसा में प्रो.रमेशचन्द्र कुहाड़, प्रों सुरेन्द्र दुबे तथा अनुप्रेरक-अनुभूति में प्रो. सरस्वती भल्ला एवं अभिमत दाता प्रो. हरिशंकर मिश्र का सानिध्य हितोपदेशी है। प्रो. नरेश मिश्र के चितंन की धरती, महिला सशक्तिकरण के युग का अनुप्रेरक महाकाव्य, कृति का अनूठा अवदान है। जो आदेश जी के पुरोवाक को समृद्धता प्रदान करता है। साथ ही श्याम त्रिपाठी और प्रो. शिखारानी शर्मा का चितंन-झरोखा कृति को