ऊँट की करवट

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ऊँट की करवट यह घटना सन् इकसठ की है किन्तु उसका ध्यान आते ही समय का बिन्दु-पथ अपना आधार छोड़ कर नए उतार-चढ़ाव ग्रहण करने लगता है. बीत चुके उन लोगों के साए अकस्मात् धूप समान उजागर हो उठते हैं और मेरे पीछे चलने की बजाय वे मेरे आगे चलने लगते हैं. और कई बार तो ऐसा लगता है उस घटना को अभी घटना है और बहुत बाद में घटना है..... अभी तो उस घटना के वर्तमान में मेरा आना बाक़ी है..... कौन कहता है कोई भी व्यक्ति समय से आगे या पीछे पहुँचकर भविष्य अथवा अतीत के अंश नहीं