इंसानियत - एक धर्म - 10

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बड़ी देर तक राखी के कानों में उसके दिमाग द्वारा की गई सरगोशी गूंजती रही और फिर अचानक वह एक झटके से उठी । ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई ठोस निर्णय ले चुकी हो लेकिन फिर अगले ही पल रमेश के ख्याल ने उसके बढ़ते कदमों को जैसे थाम लीया हो । खौलते हुए पानी में जैसे किसीने ठंडा पानी मिला दिया हो । उसका सारा उबाल खत्म हो गया । हवा का साथ पाकर आसमान छूने का हौसला रखने वाले गुब्बारे का जैसे किसीने हवा ही निकाल दिया हो वैसे ही अब उसका सारा जोश उत्साह रमेश