इंसानियत - एक धर्म - 9

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राखी की बात सुनकर पांडेयजी थोड़ा चौंकते हुए से बोले ” क्या कह रही हो बेटा ? उसे कैसे बचा सकते हैं ? उसे बचाने के लिए मैं हर तरह से तुम्हारा सहयोग करूँगा । मैं नहीं चाहता कि समाज में गलत सन्देश जाए । लोगों का इंसानियत पर से भरोसा ही उठ जाए । इंसानियत की रक्षा के लिए ही उसको बचाना जरूरी है । कहो मुझे क्या करना पड़ेगा ? “ राखी ने उनकी आंखों में झांकते हुए शांति से पुछा ” आप लोग आज ही असलम भाई को अदालत में पेश करोगे ? “ पांडेय जी ने जवाब दिया