आजादी - 13

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बड़ी देर तक विनोद के पिताजी उसकी माँ के सामने उसके बारे में अनाप शनाप बयानबाजी करते रहे । उन्हें सुन सुन कर कल्पना मन ही मन आहत होती रही । लेकिन विवश कल्पना ने खुद को रसोई में व्यस्त रखा और थोड़ी देर बाद जब नाश्ता तैयार हो गया तो विनोद की माँ से मुखातिब होते हुए धीमे स्वर में बोली ” माँ जी ! बाबूजी से कहिये नाश्ता तैयार है और आप भी नाश्ता कर लीजिये ! ”कल्पना को रुखा सा जवाब मिला ” वो तो ठीक है ! लेकिन हम नाश्ता करने के लिए ही यहाँ नहीं