चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 17

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चार्ली चैप्लिन मेरी आत्मकथा अनुवाद सूरज प्रकाश 17 अमेरिका छोड़ते समय मुझे कोई खास अफसोस नहीं हो रहा था, क्योंकि मैंने लौटने का मन बना लिया था। कैसे और कब, मैं नहीं जानता था। इसके बावजूद, मेरा मन अभी से लंदन और अपने छोटे-से सुकून भरे घर में लौटने की राह देखने लगा था। जब से मैं अमरिका के टूर पर था, ये फ्लैट मेरे लिए मंदिर जैसा हो गया था। सिडनी का समाचार बहुत दिनों से नहीं मिला था। अपने आखिरी खत में उसने लिखा था कि नानाजी फ्लैट में रह रहे थे। लेकिन मेरे लंदन पहुँचने पर, सिडनी