चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 13

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चार्ली चैप्लिन मेरी आत्मकथा अनुवाद सूरज प्रकाश 13 उस रात मैं अपने घर तक पैदल चल कर गया ताकि अपने आपको खाली कर सकूं। मैं रुका और वेस्टमिन्स्टर ब्रिज पर झुका, और उसके नीचे से बहते गहरे, रेशमी पानी को देखता रहा। मैं खुशी के मारे रोना चाहता था। लेकिन मैं रो नहीं पाया। मैं ज़ोर लगाता रहा, मुद्राएं बनाता रहा, लेकिन मेरी आँखों में कोई आंसू नहीं आये। मैं खाली हो चुका था। वेस्टमिन्स्टर ब्रिज से मैं चल कर एलिफैंट एंड कैसल ट्यूब स्टेशन तक गया और एक कप कॉफी के लिए एक स्टाल पर रुक गया। मैं किसी