एक दुनिया अजनबी - 21

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एक दुनिया अजनबी 21- कुछ संबंध अचानक ज़िंदगी में आ जाते हैं, कुछ ऐसे जो काफ़ी समय रहकर ऐसे छूट जाते हैं जैसे कभी कोई संबंध रहा ही न हो | पानी के साथ चलते, थिरकते संबंध, कभी उफ़ान आने पर इधर-उधर छलकते, उभरते संबंध ! कभी शन्ति से जिस ओर का बहाव हो, उधर बहने लगते, कभी बिना बात ही मचल जाते |स्थिर कहाँ रह पाता है आदमी का मस्तिष्क !एक समय में कितने अनगिनत विचारों की गठरी ढोने वाला मन कहाँ कभी एक समय में, एक विचार पर जमकर बैठता है ? कुछ ऐसे भी संबंध बन जाते हैं जिनसे न जान, न पहचान लेकिन वो अपने दिल की