शम्बूक वध और महाकवि भवभूति

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महाकवि भवभूति, (आलेख एवं अन्य) . पद्मावती, पदम पवाया एवं पंचमहल की धरती ,जो अपने साँस्कृतिक भण्डागारों के ऋण से हमें मुक्त नहीं कर सकी है, वहीं यहाँ के वांगमय साहित्य के धरोहर,संस्कृत के अध्येयता महाकवि भवभूति के ज्ञान गौरव से भी कम आप्लावित नहीं हैं। विगत प्राचीन काव्य साधना का वह आठवी सदी का ज्ञान संवर्धन, हमारी संस्कृति की कम धरोहर नहीं हैं। यह वैज्ञानिक युग है, विज्ञान की उपलब्धियाँ साहित्य के अतीत की बर्जना नहीं करतीं, वे ज्ञान का विस्तार करतीं हैं। साहित्य के विद्वान, वैज्ञानिक भले ही न हो, पर वे वैज्ञानिक सोच के हमसफर