लाउड़स्पीकर

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इस छोटे से कस्बे में सभी ओर अमन और शांति थी । अब्दुल, सविता को बहन मानता था, सुखिया, रज्जाक को चच्चा कहता था और गफ्फुर व मनोहर की दोस्ती की मिसाले दी जाती थी । जूते गाॅंठने वाला गोविन्द अक्सर पं. रामदीन की दालान मे ही सो जाया करता था । इस गाॅंव में शायद ही कोई किसी की जाति पूछता हो । भला हो सरकारी कागजों का उनसे ही जाति का पता चलता था । ऐसा भी बिल्कुल नहीं था कि अब्दुल, गफ्फूर और रज्जाक दाढ़ी न रखते हो या मस्जिद की सीढ़ियाॅं न चढ़ते हो ।