पश्चाताप भाग -10 लगभग साल बीतने को आया पूर्णिमा गाँव मे ही अपने बच्चो के वियोग की पीड़ा को झेलते हुए ,शशिकान्त से जब भी फोन पर बात होती ,पूर्णिमा बच्चो के पास जाने की जिद करने लगती , शशिकान्त कोई न कोई बहाना लेकर टाल देता | दिन ब दिन पूर्णिमा की सेहत गिरती जा रही थी रात दिन उसे अपने बच्चों की ही चिन्ता लगी रहती | पूर्णिमा के बेटे की हँसी भी उसकी पीड़ा को कम न कर पाती, वह शशिकान्त के बेटे को हंसते -खेलते देखती तो ,दोनो बच्चों के ख्याल से उसका हृदय पीड़ा से