पुण्‍य

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कहानी-- पुण्‍य आर.एन. सुनगरया, मुझे ऐसा लगा कि मेरा व्‍यथित-मन चीत्‍कार कर उठेगा, लेकिन ‘राज’ ने मुझे बिखरने नहीं दिया। वह निरन्‍तर मुझे सम्‍हाले रखा, मेरी रचनात्‍मक ऊर्जा की ताकत कमजोर पढ़ने से