पूनम की रात में जवान होने को आतुर चाँद को एकटक देखती रजनी के देखते ही देखते चाँद आसमान में अपनी आभा बिखरे चुका था। लंबे समय से पैदल चलने की वज़ह से रजनी का गौर वर्ण भी कांतिहीन हो गया था। बदन पर पहने सलवार कमीज भी अब तो मैले हो गए थे। कमर के पास से फटे कुर्ते से झांकते नौ महीने जे गर्भ को छुपाती रजनी के आँसुओं से भरे मृगनयना बीच- बीच में ट्रक के साथ से निकलते हर वाहन को देख रहे थे । गौरवर्ण कोमल-कंचन काया के कारण कभी सौंदर्य