मुझे पता था कुछ तो गड़बड़ है तुमने मुझे एक बार भी बताना लाजमी नहीं समझा ऐसा कुछ नहीं है.. आंटी मैं... बस ... अब मैं 71 साल की हूं अब ऐसे झटके सहन करने की ताकत मुझ में नहीं बची। आंटी ... सॉरी ... जोशी अंकल उनकी पत्नी को संभालते हुए बोले- तू तर आमचा जीव घेऊन सोडला असता जर त्यादिवशी सिद्धार्थ ने तुला बघितले नसते.. अचानक बोलते बोलते हैं वह रो पड़े। रिया अपने किए गए काम पर खुद ही शर्मिंदा थी। हम जब भी कोई गलत कदम उठाते हैं एक वक्त के लिए हम यह भूल जाते हैं कि अपने लोगों पर