इंसानियत - एक धर्म - 2

  • 8.1k
  • 3.2k

आलम की गिरफ्त से छूटने के लिए कसमसाती राखी की तरफ बढ़ते हुए मुनीर ने अपनी शंका आलम से साझा की ” लेकिन साहब ! चलो मान लिया कि मुंडा मर जायेगा तो सबूत नहीं रहेगा । लेकिन इस मुंडी का क्या करेंगे ? नहीं साहब ! मैं बाल बच्चे वाला आदमी हूँ । कहीं फंस गया तो ……..? ”उसकी बात सुनकर आलम एक ठहाका लगाकर हँस पड़ा ” अबे साले ! तू बेकार में पुलिस में भर्ती हो गया । न तेरे पास अकल है और न ही हिम्मत । अबे गधे मैं क्या कोई फंसने वाला काम करूँगा