मंथन 11 अन्त

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मंथन 11 रश्मि घर लौट आई थी। रवि और रश्मि बैडरूम में दुखित मन से बातें कर रहे थे। ‘रश्मि अब तुम्हारे ऊपर अधिक भार आ गया है।‘ ‘हाँ।‘ ‘रश्मि एक बात कहूँ।‘ ‘कहो।‘ ‘तुमने अपने जीवन की घटनाओं को बशीर साहब को तो बता दिया था।‘ ‘हाँ, बेटी बाप को सब कुछ कह सकती है जिन्हें पति से छुपाती है।‘ ‘वह तो मैं भी समझ रहा हूँ। तभी तो मरते वक्त वह मुझे समझा गए हैं कि कहीं कभी खाई न बन जाए।‘ ‘लेकिन अब यह तो बता