पानी वाले सरपंच - विलास राव सालुंके उस इलाके में हरियाली का नामोनिशान न था। दूर दूर तक कोई पेड़ नहीं बचे थे। जहांतक नजरें फेंको वहां तक काले काले पहाड़ खड़े दीखते थे। धूल भरी हवा चल रही थी। कुंये तालाब सूख गये थे। परिन्दे, खेती में मदद करने वाले जानवर और खुद आदमी पानी की तलाश में कुछ भी करने को तैयार था। पानी नही मिलने से किसी भी खेत में किसी तरह का कोई पौधा नही दिखता था। महाराष्ट्र के पुणे तालुके के इस इलाके में दर्जन भर गांव अकाल की चपेट में थे।