मंथन 10

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मंथन 10 सोचते-सोचते पांच दिन व्यतीत हो गये, पर मुर्तियाँ नहीं मिलीं। रश्मि, रवि और बशीर मियां की बैठक शुरू हुई। गाँव के भी कुछ लोगों को बुलवा लिया गया। रवि पटेल रंगाराम से बोला-‘पटेल, मेरे मन में तो एक बात आ रही है।‘ ‘कहो कहा बात ?‘ ‘ये मुर्तियाँ मिलनी चाहिए।‘ पटेल रंगाराम बोला-‘जामें अपनो कहा जोर।‘ बशीर जोश में आते हुए बोले, ‘जोर क्यों नहीं, हम आन्दोलन छेड़ देते हैं। पुलिस अपराधियों को पकड़ने का प्रयास तेज कर देगी।‘ बात पर प्रश्न रवि ने कर दिया-‘चाचाजी, आन्दोलन कैसे करेंगे