आजादी - 9

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थोड़ी देर तक चारों सड़क के किनारे बने उस छोटे से खड्डे में दुबके पड़े रहे । पुलीस की जीप सायरन बजाती धीरे धीरे उनके सामने से होते हुए स्टेशन की तरफ चली गयी । दुर जाती सायरन की आवाज से आश्वस्त होकर कि अब पुलीस की गाड़ी चली गयी है चारों उस खड्डे से बाहर निकले ।पुनः अलाव के गिर्द खड़े चारों अपने अपने हाथ आग में सेंक रहे थे । थोड़ी ही देर में ठण्ड उनपर हावी हो चुकी थी ।अपनी हथेलियों को जोर से रगड़ते हुए विजय ने बोला ” अब हम भले ही पुलीस को अपना