मंथन 6

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मंथन 6 छः फाल्गुन का महीना बीत गया था। दिन बड़े होने लगे थे। अनाज कटकर खलिहानों में आ गया था। किसान लोग चैन की सांस ले रहे थे। गाँव के सभी लोगों में एक नई स्फूर्ति आ गई थी। गाँव के किसानों ने गेहूँ के लॉक को अपने-अपने खलिहानों में सम्भालकर इस प्रकार रखा था, जिस प्रकार कुशल गृहणी अपने घर में वस्तुओं को रखती है। खलिहानों में सजाये लॉंक के ढेर के ढेर ऐसे लगते मानो छोटे-छोटे किलों ने इस गाँव की घेराबंदी कर दी हो। लोग उन