बात बस इतनी सी थी - 36 - अंतिम भाग

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बात बस इतनी सी थी 36. मंजरी के जाते ही मधुर मुझसे बोला - "चंदन डियर ! आज की तेरी रात बदरंग हो चुकी है ! लेकिन इसके लिए तू मुझे गाली मत देना ! मैं पहले ही सॉरी बोल देता हूँ !" "क्या पागलों जैसी बातें करता है ?" "तुझे मेरी बातें पागलों जैसी क्यों लग रही है ?" "पहली बात तो यह है कि तुझे सॉरी बोलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मैंने उसके साथ रात नहीं, केवल अपना दिन रंगीन बनाने की सोची थी । और अब दिन गुजर चुका है !" "दूसरी बात ?" मधुर ने