कहानी— नोटिस आर. एन. सुनगरिया, लगभग पाँच साल पूर्व अनापेक्षित वाद-विवाद जैसी वार्ता द्वारा वास्तविक मंशा, स्वार्थपरता एवं स्वजीवीपन का आभास हो गया