अब फाइलें नहीं रुकती लेखक: निशिकान्त प्रकाशक: सुनील साहित्य सदन, ए-101, उत्तरी घोण्डा, दिल्ली, पृप्ठ: 128 मूल्य: 40 रु. प्रस्तुत पुस्तक में निशिकान्त के छोटे-बड़े 34 व्यंग्य लेख संकलित हैं। अधिकांश लेखों का तेवर राजनीति से ओत-प्रोत है, कुछ लालफीताशाही से सम्बन्धित हैं और कुछ हल्के-फुलके लेख हैं। निशिकान्त के पास वह मुहावरा है जो व्यंग्य को धारदार हथियार बनाता है। उनमें मारक क्षमता भी है मगर शैलीगत वैशिप्ट्य का अभाव है। यदा-कदा जब वे राजनीति के दोगलेपन पर प्रहार करते हैं तो वे सफल भी होते है। जैसे- ‘‘ मुझसे अभागा नेता कौन होगा ? सिर्फ मेरा चुनाव