सुलझे...अनसुलझे - 9

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सुलझे...अनसुलझे दोषी कौन -------------- तारीख और दिन आज सोचूं तो मुझे याद नही पर जब भी सुनीता नाम की उस मरीज़ा के बारे में सोचती हूँ तो उसके साथ-साथ न जाने कितनी ही बातों का ज़खीरा स्वतः ही मेरे रोंगटे खड़े कर देता है| क़रीब छब्बीस-सताईस साल की एक लड़की अपनी रसीद रिसेप्शन पर बनवा अपनी जांचो का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी| चूँकि मुझे रिसेप्शन पर रखे हुए पेशेंट रजिस्टर से देखना था तो मैं स्वयं ही उठकर स्टाफ के पास आ गई थी| वजह सिर्फ यही नहीं थी क्यों कि यह मेरी आदतों में शुमार था| बीच-बीच