कहानी पलुआ रामगोपाल भावुक चौधरी रामनाथ ने किसी तरह पलुआ को झांसा देकर दस बीघा जमीन अपने नाम लिखवा ली थी। पलुआ कुम्हार इसे किस्मत का खेल समझकर रह गया था। जब पीड़ा को व्यक्त करने का हमारा साहस दब जाता है, तब पीड़ा हमारे मन में घुमड़ने लगती है। घुमड़ाव प्रक्रिया में वेग बढ़ता है, वेग की तपन, पीड़ा व्यक्त करने को विवश करती है, जब उसकी वाश्प निकल जाती है, तभी दबाव कम हो पाता है। एक दिन पलुआ अपनी पत्नी शान्ति से बोला- ‘बल्लू की बाई एक बात मैं जाने कितैक