‘मुखबिर‘ उपन्यास समीक्षा -राधा रमण वैद्य

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व्यवस्था की बखिया उधेड़ता उपन्यास - मुखविर ई0एम0फास्टर अपनी किताब ‘पैसेज टू इंडिया‘में कहते हैं कि जब आप दुनिया के साथ जुड़ते हैं तो उसे समझ पाते हैं । ग्वालियर चंबल संभाग डाकू आक्रांत था और अभी कुछ दिनों पहले तक भी रहा है। विनोबा के सर्वादय समाज सेवकों ने मुरेना जिले के जौरा में अपना आश्रम बना दिन-रात डाकुओं में विश्वास जगा सामूहिक डाकू समर्पण करवाया था। उससे पूर्व भी 1971 में विनोवा और जयप्रकाश नारायण के साथ प्रयत्न से तत्कालीन नामी और खूंखार डाकू ने सामूहिक समर्पण कर किया था और जिन्हें मुंगावली में खुली जेल