मंथन 3

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मंथन 3 तीन अमावस्या की रात्रि का अन्धकार गाँव को अपने आंचल में समेटे हुए था। रात्रि के दस बजे तक तो गाँव के सारे दीपक बन्द हो गए। लोग अपने-अपने बिस्तर पर पहंुच चुके थे। गाँव के पटेल रंगाराम के यहाँ विशुना ने दस्तक दी। दरवाजा खटखटाया, धीमे से आवाज दी, पटेल आवाज पहचान गए। विशुना उनके कान के पास जाकर फुसफुसाया। तब व बोले, ‘रे विशुना, जा बखत पंचायत के लिए कौन आ जावेगो?‘ ‘तो आप जानें कक्का ! बाद में मोय दोष मत दियो।‘ अब पटेल रंगाराम झट से विशुना से बोले, ‘तो