लाजवंती

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लाजवंती (कहानी) लेखक - अब्दुल ग़फ़्फ़ार _______ मेरा नाम लाजवंती है लेकिन गांव घर के लोग दुलार से मुझे लाजो कह के बुलाते हैं। नेपाल, भूटान और बांग्लादेश, हमारे गांव से बहुत दूर नहीं हैं फिर भी सरहदों के चलते बहुत दूर लगते हैं। हमारे यहां की पथरीली ज़मीन ऊपजाऊ नही होती और आसपास कोई बड़ा शहर भी नही है जहां लोग कमाने जा सकें। हींग और शीलाजीत बेचने वाले अधिकतर नौजवान माओवादियों के शक में एसएसबी और बीएसएफ के हाथों गिरफ़्तार कर लिए जाते हैं। जब भी गांव की किसी बेटी को नाचने के लिए शहर जाते देखती हूँ