बात बस इतनी सी थी 31. कई बार तो मंजरी मेरी किसी बात पर विचार किये बिना और कुछ सोचे-समझे बिना ही केवल मेरा विरोध करने के लिए मेरे विपक्ष में खड़ी हो जाती थी । दरअसल मंजरी इस गलतफहमी का शिकार हो गयी थी कि कंपनी को सिर्फ और सिर्फ वही अकेली चला रही है और मैं कंपनी की तरक्की के लिए उसके निर्णयों में बाधा बन रहा हूँ ! अपनी इसी गलतफहमी का शिकार होकर एक दिन मंजरी ने कंपनी की ऑनरशिप को अपने नाम पर ट्रांसफर करने की माँग कर डाली । उसकी इस माँग के पीछे