बड़े लोग

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सीता को उस दिन काम पर जाने में देर हो गई थी। आजकल उसके सास ससुर आए हुए थे गाँव से, इसलिए जल्दी-जल्दी करते हुए भी समय उसके हाथ से फिसल जाता था। वह उनकी सेवा भी पूरे मन से करती थी। उसे सास-ससुर बोझ नहीं लगते थे, पर समय की सीमा के कारण चाहकर भी इतना अधिक नहीं कर पाती थी, जो पूरे मन से करना चाहती थी। उसकी चादर छोटी थी, पर मन विशाल था ।जब वह काम करने पहुँची, मेम साब गुस्से में थीं। उन्हें उसका देर से आना जरा भी पसंद नहीं था, उनका पारा सातवें