अक्षय आश्रय - अनंग पाल सिंह

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अक्षय आश्रय उपन्यास अनंग पाल सिंह अनंग समीक्षा-वेदराम प्रजापति मनमस्त जीवन के अहाने है , बदले ये जमाने है वृद्धों के अयन अब तो, अक्षय आश्रय के ठिकाने है। पहले जो तपोवन थे, अक्षय आश्रय में बदल डाले। पुत्रों को सर्भी अिर्पत , जाते है खुशियां पाले । बदला है समय यह तो, जीवन की-भी परिभाषा कटता है बुढापा अब , जीवन के लिए छाले। देखा तो बुढापा ये , मजबूरी का मंजर है, दुनिया की उदासी संग, झेलता कई ताने है। 1 अक्षय आश्रय के