मंथन 1

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मंथन रचनाकाल- 1977 ई. उपन्यास रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 एक सूर्य की सुखद किरणें धरती का आलिंगन करने के लिए धरती की ओर दौड़ती आ रही थीं। घर के सभी लोग यह सोचते हुए उठ गए थे कि आज रवि की बरात लौट रही है। सुबह की गाड़ी से आ जाएगी। जब बरात लौटने को होती है तो दहेज के बारे में जानने की उत्कंठा