स्लेट-बत्ती

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कहानी स्लेट-बत्ती रामगोपाल भावुक कुन्दर की शादी की तैयारियां की जा रही हैं। गाँव की औरतें पंगत के लिए गेहूं बीनने आई है। सभी गेहूं बीनने में लगी हैं। कुन्दन की दादी केशर से एक औरत ने गेहूं बीनते हुए पूछ लिया-‘अम्मा जी अपयें लल्ला की सगाई कों तो, तीन-चार सालें हो गईं होयगी ?‘ यह सुनकर केशर ने तो पूरा ही किस्सा सुना डालने का मन बना डाला, कहने लगी-‘जानकी बहू व तो भाग्य की बात है, मेरो कुन्दन तो सीधो-साधो है।‘ यमुना गेहूं बीनते हुए बोली-‘ज अपयें जो बहू आ