बात बस इतनी सी थी 29. जिस दिन मैं लखनऊ पहुँचा, उसी दिन रात को डिनर की टेबल पर मेरी मुलाकात मेरे हमउम्र मधुर नाम के एक युवक से हुई । अपने स्वभाव से मधुर मेरे काफी करीब था, इसलिए पहली ही मुलाकात में हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे और दूसरी मुलाकात में हमारे दोस्ती इतनी घनिष्ठ हो गई कि मधुर ने मुझे होटल का कमरा छोड़कर उसके फ्लैट में उसके साथ रहने का प्रस्ताव दे दिया । हालांकि जिस होटल में मैं रह रहा था, वह फाइव स्टार होटल था । वहाँ पर लग्जरी लाइफ जीने की