मलंगी ने

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राजनारायण बोहरे की कहानी मलंगी मैंने एक नजर चारों ओर देखा, तो पाया कि वहाँ केवल बच्चे ही नहीं थे, बल्कि मोहल्ले-भर की औरतें भी जुट आई थी। बीजुरी वाली जीजी द्रवित होती हुई कह रही थीं, ” इस बेचारी ने जिंदगी-भर सबकी सेवा की है, जाने कौन-सा पाप हो गया कि ऐसे कष्ट भोगना पड़ रहे है। “ तुनककर जमुना बोली थी, ” पाप नही ंतो क्या था वो ? छिनारपना तो सबसे बड़ा पाप है। इसने तो सारे जिहाज तोड़ दिए थे, कुछ दिनों से । अब उसी की फल भोग रही है।” बरोदिया वाली,