बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

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बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!! --- 1 --- बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!! तुम गौरव हो मेरा, विकल जीवन हो मेरा, संसार सागर लांघकर, सुसंस्‍कारों में बॉंधकर, परम्‍पराओं की डोली में बैठा रहा हूँ, बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!! -- 2 – हम पुतलों को, मुड़कर न देखना, रोते मन को रूऑंसा न करना, तुम्‍हें परम्‍परागत सुसज्जित कर, भीतर मन में धीरज रख कर, विव्‍हलता-विवशता की सीमा में, कलेजे से तुम्‍हें अलग कर रहा हूँ, बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!! --- 3 --- शिराओं में