जिंदगी-सुकून कहाँ है ?

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पिछले कुछ दिनों से मन बड़ा विचलित, दुखी सा था। मुझे कुछ नही हुआ लेकिन लोगो को देखकर मुझे चिंता हो रही थी। यहाँ हर कोई ऐसे परेशान है जैसे जिंदगी कोई बहुत भारी सामान हो। सब लोग सुकून ढूंढ रहे है लेकिन मिल किसी को नही रहा। एक गुमठी पर सुट्टा मारते,हँसते खिलखिलाते कुछ युवक दिखाई दिये तो सोचा कि चलो किसी के पास तो खुसी है लेकिन तभी उनमे से एक फोन आने पर दूसरी तरफ गया ,फोन पर किसी से बड़ी उदास आवाज में कह रहा था 'भैया,मैं और पापा दोनो कोशिश कर रहे है लेकिन अभी